बहते हुए पानी में चांदी का सिक्का  डालने से इन राशियों का होगा भाग्योदय  
            Astrology Articles   I   Posted on 11-05-2017  ,14:21:37   I  by: Amrit Varsha
             ज्योतिष के अनुसार ऐसी मान्यता है कि वृष, कर्क, मीन, सिंह और तुला राशि के जातक यदि बहते हुए पानी में चांदी का सिक्का डाल दें तो उनका सोया हुआ भाग्य भी जागने लगता है और अशुभ चंद्र का दोष समाप्त हो जाता है।
            
            ज्योतिष के अनुसार ऐसी मान्यता है कि वृष, कर्क, मीन, सिंह और तुला राशि के जातक यदि बहते हुए पानी में चांदी का सिक्का डाल दें तो उनका सोया हुआ भाग्य भी जागने लगता है और अशुभ चंद्र का दोष समाप्त हो जाता है।
             
             
              
              
              
            
जल का संबंध विभिन्न देवी-देवताओं से है। आपने अकसर देखा होगा कि रेल-बस यात्रा के दौरान रास्ते में आने वाले बड़े जलाशयों और पवित्र नदियों में लोग सिक्का डालते हैं। इसी प्रकार तीर्थ स्थान के कुंडों, जलाशयों और नदियों में भी सिक्का डालने की प्राचीन परम्परा है। जब जलाशय और नदी आदि में भी सिक्का डालते है तो यह उसके दैवीय स्वरूप को भेंट चढ़ाने का तरीका होता है।
शास्त्रों के अनुसार दान करना पुण्य कर्म है और इससे ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है। दान के महत्व को ध्यान में रखते हुए इस संबंध में कई नियम बनाये गये हैं, ताकि दान करने वाले को अधिक से अधिक धर्म प्राप्त हो सके। भारत में अनेक परम्परा ऐसी हैं जिन्हें कुछ लोग अंध विश्वास मानते हैं और कुछ लोग उन परंपराओं पर विश्वास करते हैं। ऐसी ही एक परंपरा है नदी में सिक्के डालने की।
आपने अकसर देखा होगा कि रेल-बस जब किसी नदी के पास से गुजरती है तो उसमें बैठे लोग या नदी के पास से गुजरने वाले लोग नदी को नमन करने के साथ ही उसमें सिक्के डालते है। दरअसल, यह कोई अंध विश्वास नहीं बल्कि एक उद्देश्य से बनाई गई परंपरा है।
इसका दूसरा पहलू भी है। प्राचीन काल में तांबे के सिक्कों का प्रचलन था, चूंकि तांबा जल के शुध्दिकरण में काम आता है। 
आयुर्वेद में भी कहा गया है कि तांबे के बर्तन में रखा शुध्द जल स्वास्थ्य के लिए अतिउत्तम होता है। इसलिए जब जलाशय या नदी में तांबे का सिक्का डालते थे तो यह उसे शुध्द करता था। चूंकि सिक्के धरातल में जाकर कई दिनों तक वहां जमा होते रहते थे। इससे उनका अंश धीरे-धीरे जल में घुलता था। इससे शुध्दिकरण की यह प्रक्रिया जारी रहती थी। आज तांबे के सिक्कों का प्रचलन नहीं है लेकिन सिक्का डालने की परंपरा पूर्ववत जारी है। वर्तमान में ताम्र धातु के सिक्के चलन में नहीं है।
ज्योतिष में भी दोष दूर करने के लिए पानी में सिक्के और पूजन सामग्री प्रवाहित करने की प्रथा है। साथ ही, इसके पीछे दूसरा कारण ये भी है कि नदी में सिक्के डालना एक तरह का दान भी होता है, क्योंकि पवित्र नदियों वाले क्षेत्र में कई गरीब बच्चे नदी से सिक्के एकत्रित करते हैं। इसलिए नदी में सिक्के डालने से दान का पुण्य भी मिलता है साथ ही, ज्योतिष के नुसार ऐसी मान्यता है कि यदि बहते हुए पानी में चांदी का सिक्का डाला जाए तो अशुभ चंद्र का दोष समाप्त हो जाता है।
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