धन, वैभव व सुख शांति प्रदान करती है मां महागौरी

भवानी मां की आठवीं शक्ति महागौरी देवी के नाम से जानी जाती है। इसलिए नवरात्र के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा और आराधना की जाती है। महागौरी देवी ही त्रिनेत्री, दुर्गा, शाकुंभरी और चंडी देवी है। देवी ने दानवों का नाश करने के लिए कई प्रकार के रूप धारण किये थे। भगवान शिव ने जब काली जी पर गंगा जल डाला तो माता ने महागौरी का स्वरूप धारण कर लिया। दुर्गम दानव को मारने के कारण इनका नाम दुर्गा पडा।

मां का स्वरूप- मां महागौरी का स्वरूप अत्यंत दिव्य, सौम्य और गौरवर्णा है। मां महागौरी श्वेत वस्त्र धारण किये हुए है, मां की चार भुजाएं है इनके एक हाथ में त्रिशूल है, एक हाथ में डमरू है, माता का वाहन बैल है। मां महागौरी दानवों का विनाश करने के लिए शिव जी का आह्वान करते हुए कहती है कि आपकी सभी शक्तियां मुझमे निहित है, हे महादेव आप ऎसी शक्ति प्रदान कीजिए जिससे पापी शुम्भ-निशुम्भ का संहार हो सके। माता ने शुम्भ-निशुम्भ का संहार किया। दानवो का संहार करने के लिए देवी कभी गौरवर्णा बन जाती है, तो कभी साक्षात चंडी बन जाती है।

माता का ये स्वरूप मां लक्ष्मी, मां सरस्वती और मा काली है। महागौरी माता की पूजा गृहस्थों के लिए बहुत मंगलकारी है माता की शक्ति अमोघ और फलदायनी है इनकी उपासना से साधक के सभी पाप धुल जाते और उसे धन-धान्य एवं सुख और शांति मिलती है। अष्टमी के दिन नवरात्रों का परायण करने वाले आज के दिन अपने व्रतों का भी परायण करते है। माता की प्रसन्नता के लिए नवरात्रों में अष्टमी अथवा नवमी के दिन कन्या पूजन कर उन्हें खाना खिलाने का का विधान है।

मां महागौरी की आराधना का मंत्र है..
या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
श्वेत वृषे समारूढा श्वेताम्बर धरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा ।।

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