तिल चौथ: आज रात 8 51 बजे होगा चंद्रोदय, बन रहे शुभ संयोग

माघ महीने में संकटा चौथ का व्रत रखा जाता है। स्कंद और नारद पुराण के मुताबिक कृष्ण पक्ष की तृतीया युक्त चतुर्थी पर संकटा चौथ का व्रत रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से हर तरह की परेशानियां दूर होती हैं। इसलिए इसे संकष्टी चतुर्थी भी कहते हैं। इस व्रत से सौभाग्य और सुख भी बढ़ता है। ये पर्व आज यानी 10 जनवरी को है। मंगलवार की रात 8.51 बजे चन्द्रोदय होगा। चतुर्थी के चन्द्रमा का अघ्र्य देकर व्रत खोला जाएगा। खास बात यह है कि इस बार तिल चौथ पर सूर्योदय के साथ सर्वार्थ सिद्धि और उसके बाद शाम को आयुष्मान योग रहेगा, जो व्रत को सफलता देने में महत्त्वपूर्ण रहेगा।

संकटा चौथ के व्रत में महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र, अच्छी सेहत और जीवन में सुख-समृद्धि की कामना से भगवान गणेश की विशेष पूजा करती हैं। विधि-विधान से इस व्रत को रखने वालों के सभी संकट खत्म हो जाते हैं, क्योंकि पौराणिक मान्यता के अनुसार संकटा चौथ के दिन ही भगवान गणेश के जीवन पर भी सबसे बड़ा संकट आया था, जिसकी कथा पुराणों में मिलती है।

शुभ संयोग
पंचांग के मुताबिक इस बार संकटा चौथ पर प्रीति, आयुष्मान, आनंद और बुधादित्य नाम के शुभ योग बन रहे हैं। साथ ही इस दिन मंगलवार होने से अंगारक चतुर्थी का संयोग भी बन रहा है। इनमें की गई गणेश पूजा से हर काम में सफलता मिलती है।

चंद्रोदय का समय
माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर चंद्रमा की पूजा करने का विधान पुराणों में बताया है। इस तिथि पर चंद्रमा के दर्शन करने और अघ्र्य देने से अनजाना डर और मानसिक परेशानियां दूर होने लगती हैं। इस दिन चंद्रमा की पूजा से शरीर में पानी की कमी या उससे जुड़ी बीमारियों से भी राहत मिलने लगती है। साथ ही कई तरह के दोषों से भी मुक्ति मिलती है।

चंद्रमा आज रात 8.51 के बाद ही दिखेगा। चंद्रमा का दर्शन कर के प्रणाम करें। इसके बाद चंद्रदेव को जल चढ़ाएं। परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करते हुए भगवान गणेश का स्मरण करें। इसके बाद व्रत खोलें।

इस चतुर्थी पर भगवान गणेश को मोदक, लड्डू का भोग लगाएं और दूर्वा अर्पित करें। गणेश स्तुति, गणेश चालीसा और संकटा चौथ व्रत कथा का पाठ करना भी शुभ फलदायी होता है।

संकटा चौथ की पूजा विधि
सुबह नहाने के बाद व्रत का संकल्प लें। लाल वस्त्र धारण करके भगवान गणेश की पूजा करें। भगवान गणेश की पूजा करने के लिए मां लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति दोनों पूजा स्थल पर स्थापित करें। गणेश मंत्र का जाप करते हुए 21 दूर्वा भगवान गणेश को अर्पित करें।

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