इन यंत्रों की पूजा से होंगे हर काम पूरे, नहीं रहेगी ध्‍ान की कमी

प्राचीन ग्रंथों में कहा गया है कि मंत्र देवता का मन और यंत्र शरीर होता है। यंत्र सिद्ध होने पर इनमें ईश्वर का वास होता है और यह मनुष्य के सभी कामों को पूरा करने में सक्षम होता है।

यंत्र
कई प्रकार के होते हैं जिनमें भूपृष्ठ, मेरूपृष्ठ, पाताल, मेरूप्रस्तर, कूर्मपृष्ठ आदि मुख्य हैं। यंत्रों में रेखा, बीज, अंक, मंत्रों आदि का प्रयोग होता है। अष्टगंध, पंचगंध की स्याही बनाकर या केसर, हल्दी, सिंदूर आदि का प्रयोग कर यंत्र लेखन किया जाता है। भोजपत्र, तांबा, चांदी, सोने आदि के पत्र पर यह निर्मित होता है। अनार, चमेली, नीम, आम, आक की टहनी, पक्षियों के पंख आदि से लिखा जाता है। शुभ मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठित यंत्र मनोकामना पूर्ति में सहायक होने के साथ आपकी जिंदगी बदलने में समर्थ होता है। कुछ उपयोगी यंत्र निम्न हैं-

श्री यंत्र
श्री यंत्र आध शार्क का प्रतीक है। इसे यंत्रों में सर्वश्रेष्ठ होने के कारण यंत्र राज भी कहा जाता है। इस यंत्र की अधिष्ठाती देवी मां त्रिपुर सुंदरी है। रविपुष्य, गुरुपुष्य नक्षत्र या अन्य शुभ मुहूर्त में रजत, ताम्र, स्वर्ण या भोजपत्र पर इस यंत्र का निर्माण करें। तत्पश्चात् यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा कर मां त्रिपुर सुंदरी का ध्यान एवं कमल गट्टे या रूद्राक्ष की माला से निम्न मंत्र का जाप करें- ओम श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं लीं श्री महालक्ष्मये नम:। दीपावली, शरद या चैत्र नवरात्रा, पंचमी, सप्तमी, अष्टमी की रात्रि को इस यंत्र की साधना विशेष फलदाई मानी जाती है। इस यंत्र की पूजा-अर्चना से दुख, दरिद्रता दूर होकर घर में चिरस्थाई लक्ष्मी का वास होता है। व्यापार, नौकरी में मनोनुकूल फल प्राप्ति होती है। सुख, समृद्धि की प्राप्ति के साथ सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं।

श्री सर्वसिद्धि यंत्र
सर्वसिद्धि यंत्र मंत्र सरस्वती की पूजा के लिए होता है। पढ़ाई में एकाग्रचित्तता न बनती हो, ग्रह जनित दोषों के कारण शिक्षा में व्यवधान आता हो, तो इस यंत्र का रविपुष्य, गुरुपुष्य नक्षत्र, बसंत पंचमी या अन्य शुभ मुहूर्त में अनार की कलम से भोजपत्र या ताम्रपत्र पर निर्माण करें। यंत्र की स्थापना श्वेत वस्त्र पर रखकर करें। यंत्र निर्माण पश्चात् प्रतिदिन निम्न मंत्र का सरस्वती मां के समक्ष निम्न मंत्र का जाप करें- ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सरस्वतयै बुधजन्नयै स्वाहा। श्वेत वस्त्र पहनकर श्वेत पुष्प अर्पित कर मां सरस्वती की पूजा-अर्चना से शिक्षा में बाधा दूर होती है।

व्यापार वृद्धि यंत्र
कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी, रवि या गुरुपुष्य नक्षत्र में यह यंत्र भोजपत्र, तांबे, चांदी या स्वर्ण पत्र पर शुभ मुहूर्त में बनवाकर इसकी पूजा-अर्चना करें। श्वेत आसन, श्वेत पुष्प, श्वेत वस्त्र का प्रयोग कर ओम ह्रीं श्रीं नम: मंत्र की एक माला का जाप 21 या 51 दिन तक करने पर यंत्र सिद्ध हो जाता है। इस यंत्र को तिजोरी, अलमारी या व्यापार स्थल पर रखने से व्यापार में वृद्धि और लाभ मिलता है।

असाध्य रोग निवारक यंत्र
रवि या गुरुपुष्य नक्षत्र या किसी भी शुभ मुहूर्त में इस यंत्र को भोजपत्र पर केसर से अनार की कलम से लिखकर गूगल की धूप देकर गले में बांधने से असाध्य रोग नष्ट होता है।

कनकधारा यंत्र
भौतिकवादी युग में प्रत्येक व्यक्ति शीघ्र धनवान बनना चाहता है। धन प्राप्ति हेतु रवि या गुरुपुष्य नक्षत्र यजा शुभ मुहूर्त में इस यंत्र का निर्माण कर मां लक्ष्मी के समक्ष कनकधारा स्तोत्र एवं निम्न मंत्र का नित्य जाप करें- ओम वं श्रीं वं ऐं लीं श्रीं क्लीं कनकधारयै स्वाहा। उपर्युक्त मंत्र एवं कनकधारा स्तोत्र सहित कनकधारा यंत्र की पूजा-अर्चना से दरिद्रता दूर होती है, ऋण से मुक्ति मिलती है। नौकरी और व्यापार में लाभ प्राप्त होता है। आकस्मिक धन प्राप्त होता है। प्रसिद्ध ग्रंथ शंकर दिग्विजय के चौथे सर्ग में उल्लिखित घटनानुसार जगद्गुरु शंकराचार्य ने एक दरिद्र ब्राह्मण के घर इस स्तोत्र के पाठ से स्वर्ण वर्षा करवाई थी।

ग्रह शांति यंत्र
यंत्र यह नव ग्रह यंत्र है। कुंडली में किसी ग्रह के प्रतिकूल होने पर पीड़ा पहुंचाने या दशा महादशा में ग्रहजनित पीड़ा होने पर रविपुष्य गुरुपुष्य नक्षत्र में इस यंत्र का निर्माण कर प्रतिदिन इसकी पूजा-अर्चना और नवग्रह स्तोत्र का पाठ करें और प्रतिकूल ग्रह के तान्त्रोक्त मंत्र का निश्चित संख्या में जप करने पर संबंधित ग्रह की पीड़ा शांत होकर शुभ फल प्राप्त होता है।

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