पितृ पक्ष चतुर्थी श्राद्ध 2025- जानें कब करें चतुर्थी श्राद्ध और किसका होता है तर्पण

पितृ पक्ष 2025 के चौथे दिन का विशेष महत्व है। 11 सितंबर को पड़ने वाली चतुर्थी तिथि को चतुर्थी श्राद्ध या चौथ श्राद्ध कहा जाता है। हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार, पितरों की जिस तिथि को मृत्यु हुई हो, उसी तिथि पर विधि-विधानपूर्वक तर्पण और श्राद्ध करने की परंपरा है। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार पर आने वाले संकट दूर होते हैं। चतुर्थी श्राद्ध कब करें पितृ पक्ष की चतुर्थी श्राद्ध तिथि 10 सितंबर को दोपहर 3:37 बजे से आरंभ होकर 11 सितंबर को दोपहर 12:45 बजे तक रहेगी। इस अवधि में कुतुप, रौहिण और अपराह्न काल के शुभ मुहूर्तों में श्राद्ध अनुष्ठान करने का विशेष महत्व है। � कुतुप मुहूर्त: 11:53 एएम से 12:42 पीएम (अवधि 50 मिनट) � रौहिण मुहूर्त: 12:42 पीएम से 01:32 पीएम (अवधि 50 मिनट) � अपराह्न काल: 01:32 पीएम से 04:02 पीएम (अवधि 2 घंटे 29 मिनट) शास्त्रों में बताया गया है कि अपराह्न काल समाप्त होने से पहले श्राद्ध से जुड़ी सभी प्रक्रियाएं पूर्ण कर लेनी चाहिए और अंत में तर्पण किया जाता है। किसका होता है इस दिन श्राद्ध चतुर्थी श्राद्ध उन सभी दिवंगत परिजनों के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु चतुर्थी तिथि को हुई हो। यह श्राद्ध शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष दोनों की चतुर्थी तिथि के लिए किया जा सकता है। विधि-विधान और तर्पण का महत्व पितृ पक्ष में तर्पण और श्राद्ध के दौरान जौ, चावल, काले तिल, पुष्प और कुशा से बनी पइति के माध्यम से पितरों को अर्पण किया जाता है। तर्पण एक विशेष पूजा विधि है जो पूर्वजों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए की जाती है। माना जाता है कि पंद्रह दिनों तक चलने वाले इस अनुष्ठान से पितरों की कृपा प्राप्त होती है और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। तर्पण की शुरुआत देवताओं, ॠषियों और यमराज को अर्पण से की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इन दिनों विधिपूर्वक किए गए श्राद्ध से पूरे परिवार पर शुभ फल और आशीर्वाद बरसते हैं। डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों को धार्मिक मान्यताओं और पंचांग के आधार पर प्रस्तुत किया गया है। हमारी ओर से इसकी पूर्णतया सत्यता का दावा नहीं किया जाता। अधिक जानकारी और सटीक मार्गदर्शन के लिए अपने क्षेत्र के विद्वान या पंडित से परामर्श अवश्य लें।

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