घर में कभी भी न रखें ये 3 प्रकार की लकडिय़ाँ, होता है आर्थिक नुकसान

आजकल भवन निर्माण में वास्तु शास्त्र का उपयोग बहुत ज्यादा किया जाने लगा है। हर व्यक्ति अपने घर को वास्तु के अनुसार बनाता है। यहाँ तक कि घरों की आन्तरिक सजावट भी वास्तु के अनुसार ही की जाने लगी है। लोग अपने घर को सजाने के लिए तरह-तरह की लकड़ी की चीजों सहित कई चीजों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन यह हमेशा फायदेमंद नहीं होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में तीन खास तरह की लकड़ी रखना बेहद अशुभ माना जाता है। इसलिए आप जब भी ऐसी कोई वस्तु खरीदें तो सबसे पहले यह देख लें कि इन्हें बनाने में किस तरह की लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है।

दूधिया पेड़ की लकड़ी
आपने ऐसे पेड़ों को कई जगहों पर देखा होगा, जब इसकी डाली या पत्तियाँ टूटती हैं तो इनमें से सफेद रंग का चिपचिपा पदार्थ निकलता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसे पेड़ की लकड़ी या उससे बनी चीजें घर में कभी नहीं रखनी चाहिए। रबड़ का पेड़ और आक का पेड़ दो ऐसे पेड़ हैं जिनसे यह सफेद चिपचिपा पदार्थ निकलता है। भूलकर भी उनकी लकड़ी या उससे बनी चीजें घर न लाएं।

श्मशान में उगने वाले पेड़
यदि श्मशान की लकड़ी का उपयोग किसी सजावट की वस्तु, मूर्ति या फ्रेम बनाने में किया गया हो तो उसे घर न लाएं। इस प्रकार की लकड़ी से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है। यह आपके घर की आर्थिक संपन्नता को बरबादी में बदल सकता है। श्मशान में उगने वाले पेड़ की लकड़ी को भी घर में नहीं जलाना चाहिए। इनकी लकड़ी घर से दूर ही रहे तो बेहतर होगा।

कमजोर और सूखे पेड़
अगर किसी कमजोर या सूखे पेड़ की लकड़ी का इस्तेमाल कोई वस्तु या मूर्ति बनाने में किया गया हो तो उसे घर में बिल्कुल भी न लाएं। विशेष रूप से उन पेड़ों की लकड़ी का उपयोग न करें जिन्हें दीमक या चींटियों ने खोखला कर दिया हो। इसके अलावा ऐसे पेड़ जिनकी पत्तियाँ सूख चुकी हों और उनमें केवल दो सूखी शाखाएँ रह गई हों, उनसे बना सामान या लकड़ी घर नहीं लाते।

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