क्या होता है पितृदोष व मातृदोष, मुक्ति के 7 उपाय

पितृ पक्ष सूर्योपासना का पर्व है, सूर्य ऊर्जा देता है। प्रकाश देता है। जीवनीशक्ति का संवाहक है। पृथ्वी पर जीवंतता का आधार है। सूर्य की उपासना से व्यक्ति समस्त दोषों का नाश कर सकता है। ज्योतिष में सूर्य को पिता का स्वरूप है। पिता की महानता, श्रेष्ठता और उन्नति में सूर्य की अहम भूमिका होती है। ऎसे जातक जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर या दुष्ट ग्रहों से बाधित होता है। उन्हें पितृ दोष से पीडित माना जाता है। थोडा विस्तार में जाएं तो कुंडली में लग्न, द्वितीय, चतुर्थ, पंचम और दशम भाव में सूर्य ग्रह शनि व राहू के साथ हो तो पितृ दोष माना जाता है।

हालांकि कुछ विद्वान सूर्य-केतु के संयोग को भी पितृ दोष की संज्ञा देते हैं। इसके साथ ही सूर्य नीच का हो, शत्रु क्षेत्र में हो या उससे दृष्ट हो तो भी पितृ दोष बताया जाता है। ज्योतिष में पितृ दोष पर अत्यधिक जोर दिया जाता है। कारण, कुंडली में अकेला सूर्य दोषपूर्ण हो तो वह लाख दोषों के बराबर माना जाता है। व्यक्ति का कार्य-व्यापार, पद-प्रतिष्ठा, उन्नति, संतति, कुलकुटुम्ब और माता-पिता का सुख सौख्य सूर्य से प्रत्यक्ष प्रभावित होता है। पितृ दोष युक्त कुंडली के जातकों को सूर्योपासना पर अतिरिक्त ध्यान देना चाहिए। उनके परिवार में रोग, दुख, कष्ट, आर्थिक परेशानी, ऋण का भार, विवाह-बाधा व असफलता जैसी अनेक नकारात्मक स्थितियां जीवन भर बनी रहती हैं।

इसीलिए पितृदोष व मातृदोष से मुक्ति के अनेक आसान उपाय इस तरह हैं।

1. हर अमावस्या और मंगलवार के दिन सवेरे शुद्ध होकर स्टील के लोटे या कटोरे में पानी, गंगाजल और काले तिल डालकर दक्षिणमुखी होकर पितरों को जल का तर्पण करें और जल देते समय 3 बार ऊं सर्वपितृदेवाय नम: बोलें और पितरों से सुख-शांति व काम रोजगार दिलाने के लिए प्रार्थना करें।

2. हर अमावस्या खास तौर पर सोमवती अमावस्या, भौमवती अमावस्या, मौनी अमावस्या और शनैश्चरी अमावस्या को सवेरे खीर-पूडी, आलू की सब्जी, खीर, बेसन का लड्डू, केला व दक्षिणा और सफेद वस्त्र किसी ब्राह्मण को दें और आशीर्वाद लें। इससे हमारे पितृ अत्यंत प्रसन्ना होते हैं और सारे दोषों से मुक्ति दिलाते हैं।

3. पूरे श्राद्ध सवेरे पितरों को पानी, गंगाजल व काले तिल मिलाकर जल अर्पित करें।

4. सोमवार के दिन आक के 21 पुष्पों व कच्ची लस्सी, बेलपत्र के साथ शिव पूजन करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है।

5. पितृदोष होने पर किसी गरीब कन्या के विवाह में सहायता करने से दोष से राहत मिलती है।

6. रविवार की संक्रांति या रवि वासरी अमावस्या को ब्राह्मणों को भोजन, लाल वस्तुओं का दान, दक्षिणा एवं पितरों का तर्पण करने से पितृदोष की शांति होती है।

7. हर अमावस्या के दिन पितरों का ध्यान करते हुए पीपल पर कच्ची लस्सी, गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल, जल, पुष्प इत्यादि चढाएं और 3 बार ऊं पितृभ्य: नम: बोलें। पितरों से सुख शांति की प्रार्थना करें।

इन उपायों के अतिरिक्त सर्प पूजा, ब्राह्मणों को, गोदान, कुआं खुदवाना, पीपल व बरगद के वृक्ष लगवाना, विष्णु-मंत्रों का जाप करने से, श्रीमद्भागवद गीता का पाठ करने से, माता-पिता का आदर करने से, पितरों के नाम से अस्पताल में दान करने से, मंदिर, विद्यालय व धर्मशाला बनवाने से भी पितृदोषों की शांति होती है।

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