भारत की कुण्डली वृषभ लग्न

15 अगस्त 1947 की भारत की वृषभ लग्न की कुण्डली है और भारत इस समय सूर्य में शनि अन्तर्दशा के अन्तर्गत चल रहा है। शनि एक तरफ तो भारत के लिए योगकारक हैं तो दूसरी तरफ जन्मकुण्डली में अस्त भी हैं। शनि भारत की कुण्डली में अस्त हंै परंतु नवंाश कुण्डली में शक्तिशाली हंै। इस वर्ष भारत की वर्ष कुण्डली धनु लग्न की है जिसमें वर्षेश शनि और मुंथा तुला राशि में है। भारत की जन्म लग्न से अष्टम भाव में स्थित राशि धनु ही वर्ष लग्न हो गई है और वर्ष कुण्डली में मुंथा लाभ भाव में है परंतु जन्मकुण्डली में छठे भाव में है अत: मिश्रित परिणाम सामने आएंगे। अन्तर्दशानाथ ही वर्षेश हो गए हंै अत: देश की राजनीति में भारी परिवर्तन आने के संकेत हैं। भारत की कुण्डली में गुरू अन्तर्दशा सिंतबर 2011 से जुलाई 2012 तक है। गुरू षड्बल में सबसे कमजोर हं और इस कुण्डली में अशुभ हैं। छठे भाव में बैठे रहने के कारण सदा ऋणग्रस्त बनाए रखना चाहते हैं और आर्थिक नीतियों में भारी परिवर्तन चाहते हैं।
बृहस्पति का वित्त पर और आर्थिक परिस्थितियों पर नियंत्रण है इस कारण से अशुभ अन्तर्दशा में भारत की आर्थिक स्थिति लगातार खराब होती गई और देश के मीडिया में घोटालों की गूँज छाई गई। अब नवमेश-दशमेश की अन्तर्दशा होने से केन्द्र की राजनीति पर गहरे प्रभाव देखने में आ रहे हैं। यह लेख जब मैं लिख रहा हँू उस समय भारत की लग्न से गोचर में बृहस्पति और केतु भ्रमण कर रहे हैं और दोनों ही वक्री है, शुक्र नीच राशि में चल रहे हैं, सूर्य और शनि तुला में हैं, शनि अस्त हैं और वृश्चिक राशि में राहु, मंगल और बुध हैं। अष्टमस्थ शनि में मंत्रीमण्डल में भारी परिवर्तन हुए हैं और ठीक इसी समय बृहस्पति वक्री हुए हैं, उधर वर्ष लग्न धनु हैं। अत: परिवर्तन का यह समय शुभ परिणाम नहीं लाएंगा। इसके आधार पर कुछ राजनैतिक भविष्यवाणियां की जा रही हैं।
1. नया वर्ष वर्तमान सरकार के लिए अशुभ सिद्ध होगा। शनिदेव 8 फरवरी 2013 को वक्री होकर सरकार की समस्याएं बढ़ाएंगे। सरकार की विश्वसनीयता नहीं लौटेगी और उसके मंत्रीगण गंभीर गलतियां करेंगे।
2. आर्थिक स्थिति में कही-कहीं सुधार नजर आएगा परंतु कुल मिलाकर आर्थिक स्थिति खराब ही रहेगी।
3. कई नए घोटाले सामने आएंगे और सरकार की साख गिरती ही चली जाएगी।
4. फरवरी-मार्च में सरकार की नीतियों के कारण भारी असंतोष सा रहेगा। सरकार कुछ मामलों में दमन की कार्यवाही करेगी और उसकी व्यापक चर्चा होगी। इस समय सरकार में शामिल घटक एक-दूसरे से विरूद्ध जाएंगे और ष़डयंत्र करेंगे।
5. फरवरी से लेकर जुलाई तक राजनीति में भारी उथल-पुथल रहेगी और सारे दल एक-दूसरे को नीचा दिखाने का कार्य करेंगे।
6. सरकार में सभी शामिल घटक दल एक-दूसरे के खिलाफ घात-प्रतिघात करेंगे। एक-दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश करेंगे और किसी ब़डी घटना के होने का इंतजार करेंगे। हम आने वाली घटनाओं का विश्लेषण विभिन्न मदों में करने जा रहे हैं।
राजनैतिक भविष्यवाणियाँ :
1. केन्द्र सरकार और कांग्रेस पार्टी के लिए अत्यंत खराब समय आने वाला है। फरवरी में परिस्थितियां कठिन होती चली जाएंगी और जून-जुलाई 2013 से पहले सदन में शक्ति परीक्षण की परिस्थितियां बन जाएंगी।
2. अप्रैल मास अत्यंत विघटनकारी सिद्ध होगा और या तो कोई ब़डा घोटाला (स्कैंडल) सामने आ सकता है या किसी घोटाला (स्कैंडल) का परिणाम सामने आ सकता है।
3. कई राज्यों में विद्रोह के स्वर दिखाई देंगे और वहां के मुख्यमंत्री अपने आलाकमान को आंखे दिखाते हुए मिलेंगे। कम से कम तीन राज्यों में ऎसा होगा।
4. शासक दल के प्रमुख पदाधिकारियों के लिए यह समय ठीक नहीं है और वे भारी समस्याओं से ग्रस्त हो जाएंगे।
5. किसी ब़डे राजनीतिक दल के प्रमुख अधिकारी के जीवन पर इस समय संकट है।
6. जून-जुलाई के मध्य में केन्द्र सरकार के राजनैतिक तरीके में परिवर्तन आ चुका होगा और सरकार का मुखौटा बदल सा जाएगा।
7. अगस्त 2013 से दिसंबर तक देश में राजनैतिक खोज जारी रहेगी। अगस्त और सिंतबर के महीने देश की जनता के लिए अच्छे रहेंगे जब उन्हें सरकार की ओर से कुछ अच्छे आश्वासन मिलेंगे।
8. 2013 के अंत तक सैक़डों नए राजनीतिज्ञ उभरकर सामने आएंगे और अपना स्थान बनाने की चेष्टा कर रहे होंगे।
आर्थिक भविष्यवाणियाँ :
1. जनवरी मे देश की आर्थिक स्थिति अच्छी जाने वाली है परंतु सरकार की आर्थिक स्थिति और जनता की आर्थिक स्थिति में बहुत फर्क रहेगा। फरवरी में शेयर मार्केट में कुछ परिवर्तन देखने को मिलेगे और कुछ शक्तियां शेयर मार्केट और कमोडिटी मार्केट को प्रभावित करेंगे। कई दिग्गज धराशायी हो जाएंगे।
2. बजट सत्र विशेष रहेगा। राज्यों को भरपूर मदद मिलेगी परंतु सरकार कुछ विशेष करने की स्थिति में नहीं रहेगी।
3. रेल बजट शानदार आएगा परंतु जनता को संतुष्टि नहीं मिलेगी।
4. बजट सत्र से पहले ही देश में राजनीतिक घटनाक्रम तेज हो जाएगा और सरकार में शामिल घटक दलों का तांडव देखने को मिलेगा।
5. बजट सत्र में सरकार और विपक्ष में तीखी नोंक-झोंक होगी तथा विपक्ष किसी मामले को मत विभाजन की स्थिति तक ले जाने तक जोर लगा देगा। सरकार में घबराहट देखने को मिलेगी।
6. मार्च-अप्रैल 2013 मे जमाखोरी की प्रवृतियां देखने को मिलेंगी। सरकार की कोशिशों के बाद भी भाव तेजी से बढ़ेंगे और बाजार में घरेलू मुद्रा की बहुतायत हो जाएगी।
7. रेलवे का बजट खुश करने की कोशिश रहेगी परंतु जनता संतुष्ट नहीं होगी।
प्राकृतिक आपदाएं :
1. वर्ष 2013 के प्रथम त्रैमास में अप्रैल से पहले कोई भी ग्रहण नहीं प़ड रहा है अत: ग्रहण से संबंधित कोई दुष्परिणाम भी नहीं आएंगे। 25 अप्रैल, 25 मई और 18 अक्टूबर को प़डने वाले ग्रहणों का फल अप्रैल अंक में दिया जाएगा।
खाद्यान्न उत्पादन :
1. वर्ष 2013 के प्रथम त्रैमास में फसलों की भरपूर आवक होगी। एक आध को छो़डकर सभी में उत्पादन अच्छा होगा।
2. मुख्य खाद्यान्नों के बाजार भाव बहुत ज्यादा बढ़ जाएंगे।
3. आयात व निर्यात से संबंधित एक घोटाला उभरकर सामने आएगा।
4. कृषि मंत्री के निर्यात निर्णयों के कारण सरकार की भारी आलोचना होगी। कृषि मंत्री के बयानों की भी आलोचना रहेगी।
विदेशी मामले :
1. विदेश व्यापार में गति आएगी। रूपये की स्थिति सुधारने के लिए रिजर्व बैंक को लगातार समर्थन देना प़डेगा। निर्यात से अच्छी आय होगी।
2. सरकार निर्यात बढ़ाने के लिए बहुत अच्छी योजना प्रस्तुत कर सकती है तथा बजट में छूट के प्रावधान किए जा सकते हैं।
3. यूरोपियन देशों के साथ व्यापार संधियों की पृष्ठभूमि बनेंगी। यूरोप की राशि का द्वितीय द्रेष्काण भारत की ओर संकेत कर रहा है।
रक्षा उपकरण :
1. भारत रक्षा उपकरणों का निर्यात करेगा। कुछ सौदे सामने आ सकते हैं।
2. वायु सेना से संबंधित नए सौदे अस्तित्व में आ सकते हैं।
3. रूस से युद्धपोत को लेकर शर्तो में सुधार हो सकता है।
4. भारत, फ्रांस और अमेरिका से रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए वार्ता करेगा और बजट में ही प्रावधान करने की कोशिश करेगा।
अंतरिक्ष विज्ञान :
1. भारत के सफल प्रक्षेपण भारत को विदेशी मुद्रा अर्जित कराएंगे।
2. इस बार इस मद में बहुत अच्छा बजट मिलने की संभावना है।
विदेशी मुद्रा :
1. विदेशी मुद्रा का भण्डार उच्चातम शिखर पर रहेगा।
2. भारत में विदेशी मुद्रा की आवक तेज गति से हो जाने वाली है। फरवरी बहुत सुखद जाएगा।
3. कुछ विदेशी मुद्राओं से भारतीय रूपये के संबंध पुन: परिभाषित होंगे।

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