युद्धकाल में देवी त्रिपुरा सुंदरी के इन मंत्रों से देश और घर-परिवार की सुरक्षा में योगदान करे

* प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी जीवन में संपूर्ण सुरक्षा के लिए नियमित रूप से देवी त्रिपुरा सुंदरी के देवी-कवच का पाठ करना चाहिए. युद्धकाल के समय समर्पित भाव से देवी कवच के इन मंत्रों का जाप कर देश और घर-परिवार की संपूर्ण सुरक्षा में योगदान दे सकते हैं.... त्राहि मां देवि दुष्प्रेक्ष्ये शत्रूणां भयवर्धिनि। प्राच्यां रक्षतु मामैन्द्री आग्नेय्यामग्निदेवता॥ दक्षिणेऽवतु वाराही नैर्ऋत्यां खड्गधारिणी। प्रतीच्यां वारुणी रक्षेद् वायव्यां मृगवाहिनी॥ उदीच्यां पातु कौमारी ऐशान्यां शूलधारिणी। ऊर्ध्वं ब्रह्माणि मे रक्षेदधस्ताद् वैष्णवी तथा॥ एवं दश दिशो रक्षेच्चामुण्डा शववाहना। जया मे चाग्रतः पातु विजया पातु पृष्ठतः॥ * भावार्थ.... शत्रुओं का भय बढ़ाने वाली जगदम्बिके! मेरी रक्षा करो, पूर्व दिशा में ऐन्द्री (इंद्रशक्ति) मेरी रक्षा करे, अग्निकोण में अग्निशक्ति, दक्षिण दिशा में वाराही तथा नैर्ऋत्यकोण में खड्गधारिणी मेरी रक्षा करे, पश्चिम दिशा में वारूणी और वायव्यकोण में मृगपर सवारी करने वाली देवी मेरी रक्षा करे, उत्तर दिशा में कौमारी और ईशान-कोण में शूलधारिणी देवी रक्षा करे, ब्रह्माणि! तुम ऊपर की ओर से मेरी रक्षा करो और वैष्णवी देवी नीचे की ओर से मेरी रक्षा करे, इसी प्रकार शव को अपना वाहन बनाने वाली चामुण्डा देवी दसों दिशाओं में मेरी रक्षा करे, जया आगे से और विजया पृष्ठ भाग की ओर से मेरी रक्षा करे!

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