गणेश चतुर्थी पर ना करें चांद का दीदार, लग जाएगा "कलंक"
            Astrology Articles   I   Posted on 16-09-2015  ,00:00:00   I  by: 
            
            
            गणेश चतुर्थी को बडा ही शुभ दिन माना जाता है। इस तिथि को चांद देखना  वर्जित है। भारतीय धर्मशास्त्रों के अनुसार प्राय: सभी शुक्ल पक्ष की  चतुर्थियों को खासकर भाद्र शुक्ल चतुर्थी को चंद्र दर्शन निषिद्ध माना गया  है। दर्शन से निश्चय ही झूठा कलंक लगता है। ऎसी मान्यता है कि इसी दिन  भगवान श्रीकृष्ण पर "सूर्यकांत मणि" की चोरी का झूठा कलंक लगा था। 
पौराणिक  कथा के अनुसार, एक दिन चंद्रमा को अपने सौंदर्य का अभिमान हुआ। उसने गणेश  जी का अपमान किया। इसी कारण गणेश जी ने श्राप दिया कि आज से तुम काले हो  जाओ और जो भी आज के दिन तुम्हारा मुख देखे वह भी कलंक का पात्र होगा। उस  दिन भाद्र शुक्ल चतुर्थी थी। चंद्रमा ने तत्काल क्षमा-याचना की। इस पर  गणपति जी ने कहा कि मेरा श्राप तुम्हें केवल भाद्र शुक्ल चतुर्थी को विशेष  रहेगा। अन्य चतुर्थियों पर नहीं अगर भूलवश चंद्र दर्शन हो जाये तो उसी के  निवारण के लिए सिद्धि विनायक व्रत का विधान किया गया है। 
इसी के साथ इस मंत्र का जाप भी कर सकते हैं :-
"सिंह: प्रसेनमवधीत् सिंहो जाम्बवता हत:। 
सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्यमन्तक:।।" 
भद्रा हो तो भी मध्यकाल में ही पूजें गणेश जी को :-
वैसे  तो गणेश चतुर्थी प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष व शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को  मनायी जाती है और लोग गणेश जी का व्रत रखते हैं लेकिन भव्य रूप से गणेश  उत्सव और सिद्धि विनायक व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को ही  किया जाता है। ज्योतिषाचार्य दीपक पाण्डेय ने बताया कि इस दिन भगवान गणेश  जी का स्वाति नक्षत्र मध्यकाल में जन्म हुआ था। 
इसलिए भगवान गणेश  जी का पूजन मध्यकाल में ही किया जाता है।  मध्यकाल में भद्रा हो तो भी पूजन इसी समय करने का विधान है। विश्व  ब्रह्मांड में कोई भी शक्ति जब अवतरित होती है तो मध्यकाल में होती है वह  चाहे रात्रि अथवा दिन का मध्यकाल हो। इसीलिए इस दिन को गणेश जी के  जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।