30 साल बाद शनि अपनी कुंभ राशि में, राशियों पर साढ़े साती और ढैय्या शुरू

17 जनवरी, 2023, दिन मंगलवार को शनि देव अपनी कुंभ राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं। शनि अपनी राशि कुंभ में वर्ष 2025 तक विराजमान रहेंगे। शनि देव के 17 जनवरी को अपनी राशि कुंभ में प्रवेश करने के साथ ही इसके परिणाम भी दिखना शुरू हो जाएंगे। 12 राशियों में कुछ के ऊपर साढ़े साती और कुछ राशियों पर ढैय्या शुरू हो जाएगी। इसके साथ ही कई राशियों पर से साढ़े साती और ढैय्या का प्रभाव भी समाप्त हो जाएगा। राशि परिवर्तन से मेष, वृषभ व धनु वालों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा। कुंभ स्वराशि है ऐसे में इन्हें भी फायदा मिलेगा।

ढाई साल रहते हैं एक राशि में शनि
शनिदेव ढाई साल में राशि परिवर्तन करते हैं यानि ढाई साल एक राशि में रहने के बाद दूसरी राशि में जाते हैं। इस तरह वह 30 साल बाद दोबारा अपनी स्वयं राशि में पहुंचते हैं। 12 राशियों में उनका एक चक्र पूरा होने में तीस साल का समय लगता है। इस बार वह 17 जनवरी को कुंभ में प्रवेश कर रहे हैं।

साढ़े साती का दूसरा चरण शुरू होगा
शनि का कुंभ राशि में यह प्रवेश साढ़े साती का दूसरा चरण शुरू करेगा। ज्योतिष में साढ़े साती के दूसरे चरण को सबसे ज्यादा खतरनाक माना गया है क्योंकि ये मानसिक, आर्थिक, शारीरिक तौर पर कष्ट देने वाला माना जाता है। माना जाता है कि शनि साढ़े साती और ढैय्या के दौरान उन लोगों को ज्यादा कष्ट देते हैं, जिनकी कुंडली में शनि अशुभ का हो या फिर जिनके कर्म ठीक न हों। शनि कुंभ राशि के ही स्वामी हैं इसलिए उनके लिए यह समय उतना कष्टकारी नहीं रहेगा। बल्कि कुछ मामलों में कुंभ राशि वालों को शनि का यह आगमन लाभ ही देने वाला होगा।

तीन नक्षत्र होते हैं खास
शनि के तीन नक्षत्र खास होते हैं। पुष्य, उतरा भाद्रप्रद और अनुराधा, इसलिए जिसका भी जन्म इस नक्षत्र में हुआ है उस पर भी शनि का प्रभाव पड़ेगा। शनि के अशुभ असर को कम करने के लिए हर शनिवार शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाने की परम्परा है। हनुमान जी की पूजा, भगवान शिव की पूजा, पीपल और शमी वृक्ष की पूजा, आठ मुखी रुद्राक्ष पहनने से शनि दोष कम होता है। शनि के कुंभ राशि में आने के बाद दुनिया में फैली अशांति कम हो सकती है। पूजा-पाठ और अच्छे काम करने वाले लोगों को लाभ मिलेगा। जनता को मंहगाई से कुछ राहत मिलने के संकेत हैं। युद्ध के हालातों में सुधार होगा।

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