क्यों चढ़ाई जाती है माता को लाल रंग की चीजें, जानें

हिन्दू धर्म के अनुसार साल में दो बार नवरात्र आते हैं। दोनों ही नवरात्र का महत्व और पूजा विधि अलग है। नवरात्र में मां के नौ रूपों की उपासना होती है। नवरात्रों में माता के हर मंदिर में जय-जयकार होती है। नवरात्रों की धूम में लाल रंग में मां की अलग ही छवि देखी जा सकती है।

माता के श्रृंगार में हर चीज लाल रंग देखने को मिलता है। लेकिन क्या आप जानते है कि मां के चढ़ावे में लाल रंग का ही समान रखा क्यों रखा जाता है। मां की पोशाक की बात हो, चूडिय़ां या सिंदूर सब लाल ही होता है। दरअसल, इसके पीछे पौराणिक और वैज्ञानिक दोनों ही पहलू हैं।

ज्योतिष के अनुसार, नवरात्रि में मां को ही नहीं सुहागिनों व कुमारी कन्याओं को भी लाल पोशाक व श्रृंगार के सामान दिए जाते हैं। लाल रंग मां को प्यारा होता है और इस प्यारे होने के पीछे भी एक कथा है।

वहीं वैज्ञानिक पक्ष की बात करें तो लाल रंग ऊर्जा का प्रतीक होता है और इसे पहनने के बाद ऊर्जावान की अनुभूति होती है। इसलिए लाल रंग को वार्म कलर की श्रेणी में रखा गया है। लेकिन पौराणिक महत्व की बात करें तो लाल रंग मां को प्रिय होने के पीछे वजह कुछ और है। तो आइए आज जाने मां के इस लाल रंग के प्रेम की वजह।

खून से लथपथ मां तब खूब हुईं थी प्रसन्न...
शास्त्रों में वर्णित है कि जब धरती पर राक्षसों का आतंक बढ़ गया तो मां ने इन राक्षसों को खत्म करने की ठानी। राक्षसों के खात्मे के बाद मां का पूरा शरीर लाल रंग से रंग गया और मां इस बात से प्रसन्न हुईं की अब धरती रक्षसों से मुक्त हो गई। बुराई पर अच्छाई की ये जीत के लिए जब वह खुद को लाल रंग से रंगा पाईं तो बेहद प्रसन्न हुई और तब से मां को लाल रंग भाने लगे।

यही कारण है कि लाल रंग की वस्तुएं चढ़ाने से मां बहुत प्रसन्न होती हैं। इसके अलावा लाल रंग का अपना महत्व है। इसे शक्ति का प्रतीक माना जाता है। इसे साहस और दृढ़ता का प्रतीक माना जाता है, इसलिए जो लोग पूजा करते हैं वो लाल सिन्दूर, लाल चुनरी आदि का चढ़ावा चढ़ाते हैं।

गुड़हल से है मां को विशेष प्रेम...
माता को लाल लाल रंग का फूल, खासतौर पर लाल गुड़हल बहुत ही प्रिय है। मान्यता है कि माता का दरबार जितना लाल रंग से सजता है मां उतनी ही प्रसन्न होती हैं।
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