वंसत पंचमी के दिन क्यों की जाती है कामदेव की पूजा

माघ के महीने की पंचमी को वसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। मौसम का सुहाना होना इस मौके को और रूमानी बना देता है। वसंत पंचमी को श्री पंचमी तथा ज्ञान पंचमी भी कहते हैं। इस बार बंसत पंचमी 12 फरवरी शुक्रवार को मनाया जा रहा है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा सम्पूर्ण भारत में ब़डे उल्लास के साथ की जाती है। इस दिन मे बंसत ऋतु की भी शुरूआत हो जाती है। बाग-बगीचों में विविध रंगों के महकते एवं खिलते फूल, गुनगुनाते भौंरे, पक्षियों का कलरव, कोयल की मधुर कूक शुरू हो जाती है। हिंदू धर्म में माना जाता है कि जब तक इंसान को मां सरस्वती का आशीष नहीं मिलता है तब तक वो प्रगति के पथ पर आगे नहीं बढ़ सकता है।

विद्यार्थियों एवं ब्र±मचारियों के लिए यह ज्ञान की साधना का महापर्व है। श्रीमjगवदगीता के अनुसार श्री कृष्ण ने खुद कोवसंत माना है। कहा जाता है कि इस ऋतु में भगवान श्री कृष्ण स्वयं भूलोक पर प्रत्यक्ष रूप से प्रकट होते हैं। लेकिन आप जानते है कि इस दिन कमादेव की भी पूजा की जाती है। हां जी यह सच है। जानिए ऎसा क्यों है। वसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती के साथ-साथ कामदेव और रति की भी पूजा की जाती है।

इसका मुख्य कारण है आपके दांपत्य जीवन में हमेशा सुखमय बना रहा। कामदेव और माता रति को गृहस्थ जीवन में प्रेम, सुख, समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता हैं, क्योंकि जहां ये तीनों गुण विद्यमान होते हैं, उनके गृहस्थ जीवन के सफल होने की संभावना उतनी ही ज्यादा होती है। इसी कारण बंसत पंचमी को तीनों देवी-देवताओं की पूजा की जाती हैं। जिससे कि समृद्धि, प्रेम और ज्ञान की प्राçप्त हो सकें।

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