क्या आप जानते हैं कि आपकी राशि कौनसी है?

ज्यादातर लोग अपनी राशि के बारे में भ्रमित रहते हैं। कोई अपने बोलते नाम से राशि देखता है, कोई जन्म कुंडली के नाम से, तो कोई अंकों के अनुसार। बच्चे से बड़े होने तक यह तय नहीं हो पाता कि उनकी असली राशि है कौनसी? जरा नजर डालें विभिन्न प्रकार की राशि पद्धतियों पर-

सौर या सूर्य आधारित राशि

सूर्य जिस राशि में होता है, उसी के अनुसार राशि का निर्धारण होता है। इस पद्धति के अनुसार पूरे एक माह तक पैदा होने वाले जातकों की एक ही राशि होती है। जैसे 21 मार्च-20 अप्रेल तक जन्मे लोगों की राशि मेष, 21 अप्रेल-20 मई तक वृष, 21 मई-21 जून तक मिथुन आदि।

चंद्र आधारित राशि
वैदिक ज्योतिष में राशि का निर्धारण नक्षत्रों को आधार मानकर चंद्रमा की उपस्थिति के अनुसार राशि का निर्धारण किया जाता है। पूरा भूमंडल गोल होने के कारण 360 अंश मान को 12 बराबर भागों में बांटकर 30 अंश की एक राशि मानी गई है। हमारे 27 नक्षत्रों के चार भाग कर कुल 108 चरण बनाए गए हैं। प्रत्येक राशि में सवा दो नक्षत्र (9 चरण) शामिल कर बारह राशियां बनाई गई हैं।

अंक शास्त्र और राशि
अंक शास्त्र में राशि ना होकर मूल नौ अंकों को प्रत्येक ग्रह का स्वामित्व और अंक की विशिष्ट राशि प्रदान करने की अवधारणा है। एक अंक के स्वामी सूर्य व राशि सिंह, दो के स्वामी चंद्रमा व राशि कर्क, तीन के स्वामी गुरु व राशि धनु, चार के स्वामी राहु व राशि कुम्भ, पांच के स्वामी बुध और राशि मिथुन तथा कन्या, छह के स्वामी शुक्र व राशि वृष, तुला। सात अंक के स्वामी केतु व राशि मीन, आठ के स्वामी शनि व राशि मकर और नौ के स्वामी मंगल और राशि मेष व वृश्चिक है।

 टैरो कार्ड और राशि
इसमें किसी भी राशि या घटना या प्रश्न का उत्तर देने के लिए तीन कार्ड खोलकर निर्णय किया जाता है। पहले कार्ड से आपकी मानसिक स्थिति का आकलन, दूसरे कार्ड से आपके मन के विचार या समस्या का विश्लेषण और तीसरे से परिणाम के बारे मे अनुमान किया जाता है। इसमें कार्ड रीडर की योग्यता और कार्ड विश्लेषण शक्ति और आध्यात्मिक शक्ति का प्रयोग ज्यादा होता है।

 पं. नंदकिशोर शर्मा

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