शीतलाष्टमी : क्यों खाया जाता है बासी खाना

शीतलाष्टमी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनायी जाती है। शीतला माता एक प्रमुख हिन्दू देवी के रूप में पूजी जाती है। अनेक धर्म ग्रंथों में शीतला देवी के संदर्भ में वर्णित है, स्कंद पुराण में शीतला माता के विषय में विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है, जिसके अनुसार देवी शीतला चेचक जैसे रोग कि देवी हैं, यह हाथों में कलश, सूप, मार्जन(झाडू) तथा नीम के पत्ते धारण किए होती हैं तथा गर्दभ की सवारी किए यह अभय मुद्रा में विराजमान हैं।

क्यों खाया जाता है बासी खाना इस दिन--
शीतलाष्टमी मौसम परिवर्तन का दिन होता है। मां शीतला को खसरा, माता निकलने, बोदरी आदि रोगों के निजात की देवी माना जाता है। इन बीमारियों में ठंडी और बासी चीजे ज्यादा लाभप्रद है। गर्म और छोकन वाली चीजे इन बीमारियों को ज्यादा बढाती है। इसी कारण मां को एक दिन पहले बनी हुई चीजों का भोग लगाकर उसी दिन यह सब चीजे खाई जाती है। शीतलाष्टमी के दिन घर में चुल्ला नही जलाना चाहिए और बस बासी खाना ही खाना चाहिए।

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