मकर संक्रांति पर दान का विशेष महत्व, इस दिन करें ये काम

मकर संक्रांति का त्यौहार हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्यौहार माघ माह में कृष्ण पंचमी को मकर सक्रांति देश के लगभग सभी राज्यों में अलग-अलग सांस्कृतिक रूपों में मनाई जाती है। यह पर्व प्रत्येक वर्ष जनवरी के महीने में समस्त भारत में मनाया जाता है।

इस दिन से सूर्य उत्तरायण होता है, जब उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है। इस पर्व की विशेष बात यह है कि यह अन्य त्योहारों की तरह अलग-अलग तारीखों पर नहीं, बल्कि हर साल 14 जनवरी को ही मनाया जाता है।

लेकिन पिछले कुछ सालों से मकर संक्रांति पर पर्व 14 और 15 जनवरी यानी दो दिनों तक मनाया जाता है।

दो दिनों तक है मकर संक्रांति...
इस साल में ये माना जा रहा है कि साल 2019 में भी मकर संक्रांति पर्व दो दिनों तक मनाया जाएगा। गूगल सर्च के अलावा, कई कैलेंडर और पंचांग मकर संक्रांति की तिथि 14 जनवरी बता रहे हैं तो कई पंचांग 15 जनवरी को मकर संक्रांति बता रहे हैं।

ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक, सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी की शाम 7 बजकर 50 मिनट पर हो रहा है। शास्त्रों के नियम के अनुसार रात में संक्रांति होने पर अगले दिन संक्रांति मनाई जाती है। इस नियम के अनुसार ही मकर संक्रांति 14 नहीं 15 जनवरी को मनाई जाएगी।

मकर संक्रांति पर दान का विशेष महत्व...
मकर संक्रांति में स्नान, दान, पुण्य, जप, तप, श्राद्व तथा अनुष्ठान आदि का सौ गुना फल प्राप्त होता है। इस दिन गंगा में स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। खुशी और समृद्धि का प्रतीक मानकर संक्रांति त्यौहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है।

मकर संक्राति को लेकर कई कथाएं भी प्रचलित...
इसकी कई कथाएं भी प्रचलित है महाभारत काल के महान योद्धा भीष्मपितामह ने भी अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का ही चयन किया था।

कहा जाता है कि इस दीन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाया करते है। शनि देव चूंकि मकर राशि के स्वामी है, इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। यशोदा जी ने जब श्री कृष्ण जी के जन्म के लिए व्रत किया था तब भी सूर्यदेवता उत्तरायण काल में पदार्पण कर रहे थे और उस दिन मकर संक्रांति थी। कहा जाता है कि तभी से मकर संक्रांति का प्रचलन शुरू हो गया था।
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