कालाष्टमी का व्रत माना जाता है फलदायी, मिलती है कई रोगों से मुक्ति

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी के रूप में मनाया जाता है। यह भगवान भैरव को समर्पित है। कालाष्टमी को भैरवाष्टमी नाम से भी जाना जाता है। आज 25 जनवरी, मंगलवार को भी कालाष्टमी व्रत है। इस दिन भगवान भैरव की पूजा-अर्चना की जाती है। कालाष्टमी व्रत बहुत फलदायी माना जाता है। पूरी श्रद्धा से भगवान भैरव की आराधना करने से कई रोगों से मुक्ति मिलती है। हर कार्य में सफलता, सुख और शांति की प्राप्ति होती है। भगवान भैरव की उपासना से भय से मुक्ति मिलती है। हाथ में त्रिशूल, तलवार और डंडा होने के कारण भगवान भैरव को दंडपाणि भी कहा जाता है। धर्मगुुरुओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती और भगवान श्रीगणेश की पूजा-अर्चना जरूर करनी चाहिए।

इस दिन भगवान भैरव के निमित्त पूरे दिन उपवास रखें। स्नान इत्यादि से निवृत्त होने के बाद स्वच्छ और धुले हुए वस्त्रों को पहनना चाहिए। भगवान कालभैरव की पूजा के साथ शिव परिवार की पूजा करनी चाहिए। भगवान कालभैरव के समक्ष चौमुखी दीपक जलाएं और धूप-दीप से आरती करें। श्री भैरव चालीसा का पाठ करें। भगवान भैरव को उड़द की दाल या इससे निर्मित मिष्ठान इमरती, मीठे पुए या दूध-मेवा का भोग लगाएं। चमेली का पुष्प अर्पित करें। कालाष्टमी के दिन मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। इस व्रत में रात्रि में माता पार्वती और भगवान शिव की कथा सुनकर जागरण करें। दुर्गा चालीसा, शिव चालीसा का पाठ करें। कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव के मंदिर में जाकर सिंदूर, सरसों का तेल, नारियल, चना, पुए और जलेबी चढ़ाकर भक्ति भाव से पूजन करें। भगवान भैरव की मूर्ति के समक्ष सरसों के तेल का दीपक जलाएं। काले कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं। कालाष्टमी के दिन अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। व्रत में फलाहार कर सकते हैं।

दी गई जानकारी धार्मिक आस्थाओं और ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है। यदि आप इस प्रकार का व्रत करना चाहते हैं तो पहले अपने धर्मगुरुओं से जरूर परामर्श करें।

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