आपका मंगल शुभ है या नहीं

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी जातक का मंगल शांत हो तो वह पुलिस, सेना व प्रशासनिक सेवाओं को भोगता है लेकिन मंगल अशुभ हुआ तो वह जातक को गलत व अपराध कार्यों की ओर ले जाता है।
रजोगणी प्रधान और रक्त वर्ण वाले मंगल ग्रह के शुभ स्थिति में होने पर जातक योग्य, साहसी, कुशल और सामथ्र्यवान हो जाता है। लग्न का स्वामी मंगल यदि शक्तिशाली हो तो जातक में उत्साह व आत्मविश्वास देखने को मिलता है। ऐसे जातक अपनी क्षमता से अधिक साहस पूर्ण कार्यों को सम्पन्न कर डालते हैं। यदि लग्न में मंगल अस्त या अशुभ दृष्टि वाला हो तो जातक गुप्त रोगी और क्रूर स्वभाव वाला हो जाता है। जन्म कुंडली के छठे, आठवें व बारहवें भाव में मंगल विपरीत फल देता है। वक्री व अस्त मंगल भी अशुभ फल देने वाला है। मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव से जातक क्रोधी, निर्धन, गुप्त रोगी, दु:खी, अशांत, क्रूर और अपने उच्चाधिकारियों से प्रताडि़त होने वाला बना रहता है। 
कैसे हो मंगल शुभ 
मंगल के कुप्रभाव को दूर करने के लिए विधि-विधान से मूंगा दान करने, मूंगा रत्न अथवा अनंतमूल या नागजिह्वा की जड़ी धारण करने की सलाह दी जाती है। ऋणग्रस्तता या धन की कमी हो तो मंगल का व्रत करने के साथ-साथ ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। समस्त प्रकार की बाधाओं के निवारण के लिए मंगलवार को प्रात: नित्य कर्मों से निवृत्त होने के बाद पवित्र मनोभाव से लाल रंग की गाय को लाल चंदन का तिलक लगाकर तथा लाल पुष्पों की माला पहनाकर मसूर की लाल दाल और गुड़ खिलाना चाहिए। सम्भव हो तो इस दिन लाल पुष्प, लाल चन्दन, गोदंती, बेल की छाल, मौलश्री मिश्रित जल से स्नान करने से मंगल की अशुभता दूर होती है। व्रत का परायण नमक रहित भोजन, गुड़ से बने हलवे, बेसन या आटे के लड्डू आदि से करना चाहिए। मंगल के शुभ प्रभाव में वृद्धि के लिए लाल वस्त्र, लाल मसूर की दाल, गुड़, गेहूं, तांबा, नारियल का दान करना भी उचित माना गया है। पवनसुत हनुमान जी की पूर्ण भक्ति भाव से आराधना भी मंगल को शुभकारी बनाती है।

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