आप जानते हैं मंत्रों के चमत्कारी होने का रहस्य

मंत्र का अर्थ शास्त्रों में मन: तारयति इति मंत्र: के रूप में बताया गया है यानी मन को तारने वाली ध्वनि ही मंत्र है। वेदों में शब्दों के संयोजन से ऐसी ध्वनि उत्पन्न की गई है, जिससे मानव मात्र का मानसिक कल्याण हो। बीज मंत्र किसी भी मंत्र का वह लघु रूप है, जो मंत्र के साथ उपयोग करने पर उत्प्रेरक का कार्य करता है। यहां हम यह भी निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि बीज मंत्र मंत्रों के प्राण हैं या उनकी चाबी हैं।

मंत्रों की शक्ति का राज
मंत्रों की शक्ति तथा इनका महत्व ज्योतिष में वर्णित सभी रत्नों एवम उपायों से अधिक है। मंत्रों के माध्यम से ऐसे बहुत से दोष बहुत हद तक नियंत्रित किए जा सकते हैं जो रत्नों तथा अन्य उपायों के द्वारा ठीक नहीं किए जा सकते। ज्योतिष में रत्नों का प्रयोग किसी कुंडली में केवल शुभ असर देने वाले ग्रहों को बल प्रदान करने के लिए किया जा सकता है तथा अशुभ असर देने वाले ग्रहों के रत्न धारण करना वर्जित माना जाता है क्योंकि किसी ग्रह विशेष का रत्न धारण करने से केवल उस ग्रह की ताकत बढ़ती है, उसका स्वभाव नहीं बदलता।
जहां एक ओर अच्छे असर देने वाले ग्रहों की ताकत बढ़ने से उनसे होने वाले लाभ भी बढ़ जाते हैं, वहीं दूसरी ओर बुरा असर देने वाले ग्रहों की ताकत बढ़ने से उनके द्वारा की जाने वाली हानि की मात्रा भी बढ़ जाती है। इसलिए किसी कुंडली में बुरा असर देने वाले ग्रहों के लिए रत्न धारण नहीं करने चाहिएं।

मंत्र जाप के हैं नियम
मंत्र जाप के द्वारा सर्वोत्तम फल प्राप्ति के लिए मंत्रों का जाप नियमित रूप से तथा अनुशासनपूर्वक करना चाहिए। वेद मंत्रों का जाप केवल उन्हीं लोगों को करना चाहिए जो पूर्ण शुद्धता एवम स्वच्छता का पालन कर सकते हैं। किसी भी मंत्र का जाप प्रतिदिन कम से कम 108 बार जरूर करना चाहिए। सबसे पहले आप को यह जान लेना चाहिए कि आपकी कुंडली के अनुसार आपको कौन से ग्रह के मंत्र का जाप करने से सबसे अधिक लाभ हो सकता है तथा उसी ग्रह के मंत्र से आपको जाप शुरू करना चाहिए।
कहा जाता है कि यह मंत्र भगवान शिव को प्रसन्न कर उनकी असीम कृपा प्राप्त करने का माध्यम है… इस मंत्र का सवा लाख बार निरंतर जप करने से आने वाली अथवा मौजूदा बीमारियां तथा अनिष्टकारी ग्रहों का दुष्प्रभाव तो समाप्त होता ही है, इस मंत्र के माध्यम से अटल मृत्यु तक को टाला जा सकता है… हमारे चार वेदों में से एक ऋग्वेद में महामृत्युंजय मंत्र इस प्रकार दिया गया है…
ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात।।

बुरे दिनों को अच्छे दिनों में बदलने के लिए करें केवल ये 4 उपाय
इन 4 उपायों से आपके पास पैसा खिंचा चला आएगा
क्या आप परेशान हैं! तो आजमाएं ये टोटके

Home I About Us I Contact I Privacy Policy I Terms & Condition I Disclaimer I Site Map
Copyright © 2024 I Khaskhabar.com Group, All Rights Reserved I Our Team