सुख-समृद्धि और मनोवांछित फल देती है दशामाता
Astrology Articles I Posted on 02-04-2016 ,00:00:00 I by:
चैत्र मास की दशमी को दशा माता पर्व मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं दशा माता का पूजन करती है और उनकी कथा का श्रवण करती हैं। साथ ही पीपल और वटवृक्ष पर सूत का धागा बांधा जाता है। इस दिन नई झाडू खरीदकर उसके पूजन का भी विधान है। महिलाएं आज के दिन व्रत भी रखती हैं। सुख-समृद्धि और मनोवांछित सिद्धि का प्रतीक दशामाता का व्रत करने वाली महिलाओं आकर्षक वेशभूषा में नजर आती है।
दशामाता व्रत पूजन--
होली के दसवे दिन राजस्थान और गुजरात राज्य में दशामाता व्रत पूजा का विधान है। सौभाग्यवती महिलाएं ये व्रत अपने पति कि दीर्घ आयु के लिए रखती है। प्रात: जल्दी उठकर आटे से माता पूजन के लिए विभिन्न गहने और विविध सामग्री बनायीं जाती है। पीपल वृक्ष की छाव में ये पूजा करने की रीत है। कच्चे सूत के साथ पीपल की परिक्रमा की जाती है। तत्पश्चात पीपल को चुनरी ओढाई जाती है।
पीपल छाल को ‘स्वर्ण’ समझकर घर लाया जाता है और तिजोरी में सुरक्षित रखा जाता है। महिलाएं समूह में बैठकर व्रत से सम्बंधित कहानिया कहती और सुनती है। दशामाता पूजन के पश्चात ‘पथवारी’ पूजी जाती है। पथवारी पूजन घर के समृद्धि के लिए किया जाता है। इस दिन नव-विवाहिताओं का श्रृंगार देखते ही बनता है। नव-विवाहिताओं के लिए इस दिन शादी का जोड़ा पहनना अनिवार्य माना गया है।