पौराणिक ग्रन्थ से शुभ और अशुभ का पर्दाफाश

आज ज्योतिष विद्या पर धीरे धीरे लोगों का विश्वास कम होता जा रहा है, मनो विज्ञानं की बातों को माना जाए तो ये महज़ इंसान का भरम होता है या फिर उसके दिमाग का फितूर, लेकिन आज मनो विज्ञानं भी प्रेत आत्माओं को मानने लगा है,जैसे की आप सभी जानते है की आए दिन साइंटिस्ट इन बातों पर अपने तथ्य निकालते नजर आते है, लेकिन आज हम कुछ ऐसा लाएं है जो शुभ अशुभ से जुडी आपकी गलतफैमियों को दूर कर देगा, जैसे आप अक्सर सुनते आते है की बिल्ली रास्ता काट जाए तो उस जगह से नहीं निकलना चाहिए , या अच्छे काम से जा रहे हो तो दही जाकर खाना चाहिए काम अच्छा होता है, लेकिन आज की युवा पीढ़ी इन बातों को बेफिजूल मानती है, लेकिन आज हम शुभ और अशुभ का ऐसा तथ्य सामने लाएं है जो आपकी गलतफैमियों को दूर कर देगा, जानकारी के लिए बता दें की शुभ और अशुभ बेफिजूल नहीं बल्कि सच है, पौराणिक ग्रन्थ में शुभ और अशुभ के कई तथ्य दिए है ।

शुभ और अशुभ के बारे में जानने के लिए क्लिक कीजिए अगली स्लाइड पर.....
जानकारी के लिए बता दें शकुन शास्त्र’ नाम के ग्रन्थ में कुछ कथाएँ ऐसी दर्ज़ हैं जो शकुन और अपशकुन की कहानी बताती हैं। शकुन शास्त्र तीन तरह के होते हैं जिसमे पहला हैं क्षेत्रिक शकुन, दूसरा हैं जंधिक शकुन और तीसरा हैं आगंतुक शकुन। शुभ और अशुभ दो ऐसे शब्द है जो भविष्य में होने वाले गलत व सही कामों का संकेत देते है, ये तो हम सभी जानते है की भविष्य को कोई नहीं देख सकता लेकिन उससे पहले होने वाले शुभ व अशुभ के बारे के जरूर जान सकता है। शकुन शास्त्र ऐसा शास्त्र है जिसमे सूर्य पुत्र कर्ण की एक कहानी बहुत प्रसिद्ध हैं।

पहला अशुभ संकेत महाभारत के युद्ध के वक़्त दिखाई दिया था जब सूर्य पुत्र कर्ण युद्ध में पांडवों के बजाए कौरवों के साथ रहने का निर्णय लिया था, और तभी साफ़ आसमान में अचानक मेघ गरजने शुरू हो गए, तेज़ हवाएं चलने लगी थी,पशु-पक्षी के बर्ताव में परिवर्तन आ गया था और कर्ण के रथ में बंधा कर्ण का घोड़ा अचानक ज़मीन पर गिर गया, अगर उस वक़्त इन संकेत को समझ लिया जाता तो परिणाम वो न होता जो महाभारत का हुआ।

ऐसा माना जाता है की पूरी दुनिया में एक मात्र जानवर ही ऐसे है जिन्हे कुछ गलत होने से पहले ही गलत होने का एहसास हो जाता है, जैसे प्रकृति में आने वाली विपदा से पहले ही वे चिल्लाना शुरू कर देते हैं, कुछ ऐसा ही दृश्य सतयुग में रामायण काल में बताया गया है, जब राजा दशरथ ने अपने बड़े पुत्र राम को राजा बनाने की घोषणा कि थी तब श्रीराम के शरीर का दाहिने हिस्सा फड़-फड़ाने लगा था, कई वैद को दिखाने के बाद भी जब राम भगवान का हाथ ठीक नहीं हुआ तो गुरु वशिष्ट ने बताया कि यह पूरी दुनिया के लिए शकुन संकेत हैं।

जैसा कि हमने बताया की शकुन शास्त्र तीन तरह के होते हैं, जिसमे से हर शास्त्र का मतलब अलग अलग होता है, पहला क्षेत्रिक शकुन जो जगह पर होने वाले अच्छे और बुरे का संकेत देता हैं, दूसरा जंधिक शकुन जिसमे हमें पशु-पक्षियों या प्रकृति द्वारा मिलते हैं, तीसरा और आखरी आगंतुक शकुन, जिसमे कोई संकेत नहीं मिलते और अचानक घटनाएं हो जाती है।

हम ये नहीं कहते कि आप सभी इन बातों पर भरोसा करें ,लेकिन इन बातों पर गौर जरूर करें क्यों कि हो सकता है आपकी इन बातों पर गौर करने से कोई अनहोनी होने से बच जाए।

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