शिव जी को प्रसन्न करने के लिए जरूर अर्पित करें ये चीजें..

महाशिवरात्रि हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। बता दें कि इस साल महाशिवरात्रि का पर्व 21 फरवरी ( शुक्रवार) को देशभर में मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। इसके लिए शिव भक्त शिवालयों या घर पर ही शिव का जलाभिषेक करते हैं। शिव को कई प्रकार सामग्री अर्पित की जाती है।

लेकिन कुछ चीजें ऐसी हैं जिन्हें चढ़ाने से शिव शंकर जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। आइए इस आर्टिकल के जरिए जानते है वो कौनसी चीजें है जो भौलेनाथ को अति प्रिय हैं और जिनका उपयोग पूजा के वक्त जरूर करना चाहिए।

(1) बिल्वपत्र
भगवान शिव के तीन नेत्रों का प्रतीक माना जाता है बिल्वपत्र। जो शिव को अति प्रिय है। तीन पत्तियों वाले इस बिल्वपत्र का शिव पूजन में प्रथम स्थान है।

(2) आंकड़ा
शिवपुरान के अनुसार, भगवान शिव पूजा में एक आंकड़े का फूल चढ़ाना सोने के दान के बराबर फलदायी होता है।

(3) भांग
भौलेनाथ हमेशा ध्यानमग्न मुद्रा में रहते हैं। भांग ध्यान केंद्रित करने में मददगार होती है। विष्णुपुरान के अनुसार, समुद्र मंथन में निकले विष का सेवन करने के बाद महादेव को औषधि स्वरूप भांग दी गई। लेकिन प्रभु ने हर कड़वाहट और नकारात्मकता को आत्मसात किया इसलिए भांग भी उन्हें प्रिय है। भगवान शिव संसार में व्याप्त हर बुराई और हर नकारात्मक चीज को अपने भीतर ग्रहण कर लेते हैं।

(4) जल
शिव पुराण में इस बात का उल्लेख है कि भगवान शिव ही स्वयं जल हैं शिव पर जल चढ़ाने का महत्व समुद्र मंथन से जुड़ा है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने धरतीलोक की रक्षा करने के लिए समुद्र मंथन से निकले विष को पी लिया था। जिससे शिव का कंठ एकदम नीला पड़ गया था। विष की ऊष्णता को शांत करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया। इसलिए शिव पूजा में जल का विशेष महत्व माना गया है।

(5) धतूरा
शिव पुरान के अनुसार, धतूरा चढ़ाने के पीछे जहां धार्मिक कारण है वहीं इसका वैज्ञानिक आधार भी है। जैसा कि भगवान शिव का निवास स्थान कैलाश पर्वत माना गया है। यह काफी ठंडा क्षेत्र है जहां ऐसे आहार और औषधि की जरुरत होती है जो शरीर को ऊष्मा प्रदान कर सकें। वैज्ञानिक दृष्टि से धतूरा सीमित मात्रा में लेने से ये औषधि का काम करता है और शरीर को अंदर से गर्म रखता है। जबकि धार्मिक मान्यताओं अनुसार देवी भागवत‍ पुराण में बताया गया है। शिव जी ने जब सागर मंथन से निकले हलाहल विष को पी लिया तब अश्विनी कुमारों ने भांग, धतूरा, बेल आदि औषधियों से शिव जी की व्याकुलता दूर की।

(6) चावल
चावल यानी अक्षत का प्रयोग बहुत से पूजा पाठ के कार्यों में किया जाता है। लेकिन ध्यान रखें कि चावल टूटा नहीं होना चाहिए। क्योंकि अक्षत का मतलब ही पूर्ण होता है जिसके पूजा में चढ़ाने से किसी चीज की कमी नहीं रह जाती। अक्षत न हो तो शिव पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती।

(7) दूध
भौलेनाथ के शरीर में विष के अनिष्टकारी प्रभाव को कम करने के लिए उन्हें दूध चढ़ाया गया था। यही कारण है कि शिवलिंग पर दूध जरूर चढ़ाया जाता है।

(8) भस्म
शिव पुरान के अनुसार, भस्म भगवान शिव को बेहद प्रिय है, कहा जाता है कि शरीर पर भस्म लगाकर भगवान शिव खुद को मृत आत्मा से जोड़ते हैं। एक कथा के मुताबिक शिव की पत्नी सती ने जब स्वयं को अग्नि के हवाले कर दिया तो क्रोधित शिव ने उनकी भस्म को उनकी आखिरी निशानी मानते हुए तन पर लगा लिया।

शिव के अनुसार मरने के बाद मृत व्यक्ति को जलाने के पश्चात बची हुई राख में उसके जीवन का कोई कण शेष नहीं रह जाता। उसमें किसी प्रकार का गुण-अवगुण नहीं है, ऐसी राख को भगवान शिव अपने तन पर लगाकर सम्मानित करते हैं।

(9) रुद्राक्ष
शिव पुरान के अनुसार, रुद्राक्ष उत्पत्ति की कथा भगवान शिव ने एक बार माता पार्वती से कही थी। एक समय भगवान शिवजी एक हजार वर्ष के लिए समाधि में चले गए थे। समाधि पूर्ण होने पर जब उनका मन बाहरी जगत में आया, तब उन्होंने अपनी आंखे खोली। तभी उनके नेत्र से जल के बिंदु पृथ्वी पर गिरे। उन्हीं से रुद्राक्ष के वृक्ष की उत्पत्ति हुई।

(10) चंदन

शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव मस्तक पर चंदन का त्रिपुंड लगाते हैं। अक्सर चंदन का इस्तेमाल हवन में किया जाता है। कहा जाता है कि शिवजी को चंदन चढ़ाने से समाज में मान सम्मान यश बढ़ता है। इसके साथ ही माता लक्ष्मी भी जातक पर धनवर्षा करती है।
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