श्री कृष्ण आ रहे हैं, इन मंत्रों से बुलाएं भगवान को घर

योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति पूर्वक आराधना करने मात्र से ही मनुष्य इस संसार में सारे सुखों का संग्रह अनायास कर सकता है तथा जन्म से लेकर मृत्युपर्यंत कार्यसिद्धि भी सहज ही प्राप्त कर सकता है। वेद-पुराणों द्वारा प्रतिपादित ज्योतिष शास्त्र में पूरे नव ग्रह श्रीकृष्ण के इर्द-गिर्द ही घूमते नजर आते हैं। पुराणों में स्पष्ट लिखा है कि शनि, राहु व केतु जैसे महाकू्रर ग्रह श्रीकृष्ण के भक्तों को कष्ट पहुंचाना तो दूर, वे कृष्ण भक्तों को देख तक भी नहीं सकते। 15 अगस्त को श्री कृष्ण आ रहे हैं। ऐसे में कुछ खास मंत्र और उपायों को अपनाने से भगवान स्व यं आपके घर आ जाएंगे, यकीन ना आए तो उपायों को करके देख लें-

जिन व्यक्तियों के कोई गुरु न हो या किसी पारंपरिक वैदिक संप्रदाय में दीक्षित न हो, उन्हें गुरुभक्ति प्राप्त करने के लिए शुभ समय में इस मंत्र का जप करना चाहिए-
वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्।
देवकीपरमानंदम् कृष्णं वंदे जगद्गुरुम्।।

जिन पुरुषों का विवाह नहीं हो रहा हो या विवाह में विलंब हो रहा हो, उन्हें शीघ्र विवाह के लिए श्रीकृष्ण प्रीत्यर्थ निम्न मंत्र का नित्य 108 बार जप करना चाहिए-
क्लीं कृष्णाय गोविंदाय, गोपीजनवल्लभाय स्वाहा।

जिन कन्याओं का विवाह नहीं हो रहा हो या विवाह में विलंब हो रहा हो, उन कन्याओं को श्रीकृष्ण जैसे सुंदर पति की प्राप्ति हेतु माता कात्यायनी के इस मंत्र का जप वैसे ही करना चाहिए जैसे द्वापर युग में श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने के लिए गोकुल की गोपियों ने किया था। यह मंत्र है- कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि।
नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरु ते नम:।।

जिन परिवारों में संतान सुख न हो या स्त्रियों को गर्भधारण में कठिनाई आ रही हो या कुंडली में बुध और गुरु संतान प्राप्ति में बाधक हों तो ऐसे में पति-पत्नी दोनों को तुलसी की शुद्ध माला से पवित्रता के साथ संतान गोपाल मंत्र का नित्य 108 बार जप करना चाहिए या विद्वान ब्राह्मणों से सवा लाख जप करवाने चाहिए-
देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते।
देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:।।

शीघ्र संतान प्राप्ति के लिए घर में श्रीकृष्ण के बालस्वरूप लड्डूगोपालजी की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। अनेक पुराणों में वर्णित संतान प्राप्ति का यह सबसे सहज साधन है। भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में अखंड़ भक्ति प्राप्त करने वाले मनुष्यों को इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए-
सर्वधर्मान् परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिश्यामि मा शुच:।।


जन्मपत्री में पितृशांति के लिए श्रीकृष्ण-मुखामृत गीता का पाठ करना चाहिए। प्रेतशांति व पितृदोष निवारण के लिए भी श्रीकृष्ण चरित्र की कथा श्रीमद्भागवत महापुराण का पाठ पौराणिक विद्वान ब्राह्मणों से करवाना चाहिए।

श्रीकृष्ण स्वरूपी शालिग्राम के पूजन से भी बुध व गुरु ग्रहों की शांति होती है। गंडमूल नक्षत्रों में पैदा होने वाले मनुष्यों को कृष्ण मंत्र के जप करने चाहिए। इसी प्रकार लक्ष्मी प्राप्ति के लिए श्रीगोपाल सहस्र नाम स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।

जन्माष्टमी की पुण्यदायी रात्रि में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म होने तक कृष्ण मंत्र का जप करने से नक्षत्र शांति व चंद्र शांति का फल प्राप्त होता है। वामन पुराण में स्पष्ट उल्लेख है कि प्रत्येक शुभ कार्य के प्रारंभ में श्रीकृष्णाय नम: तथा कार्य की समाप्ति पर श्रीकृष्णार्पणमस्तु बोलने से कार्य में आने वाले सभी अवरोध समाप्त होते हैं व कार्य जिस उद्देश्यसे किया जाता है, वह पूर्ण होता है। जो व्यक्ति भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य मंत्रों का जप करता है, वह हमेशा निर्विघ्न रूप से कार्यसिद्धि को प्राप्त भी करता है।
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