इसे कहते हैं रत्नों का रत्न, पहनने से होती हैं सारी समस्याएं दूर

धार्मिक कथाओं और ग्रंथों के अनुसार स्टोून, रत्न‍ या नग पहनने से जातक के ग्रह अनुकूल होने लगते हैं। रत्नों में भी मूंगा को रत्नों में सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। कहते हैं इसे राशिवार धारण करने से जीवन में आ रही सभी परेशानियां दूर होने लगती हैं।

मूंगा मंगल ग्रह का प्रतिनिधि रत्न है। इसे विभिन्न नामों से पुकारा जाता है यथा- मूंगा, भौम-रत्न, प्रवाल, मिरजान, पोला तथा अंग्रेजी में इसे कोरल कहते हैं। मूंगा मुख्यतः लाल रंग का होता है। इसके अतिरिक्त मूंगा सिंदूरी, गेरुआ, सफेद तथा काले रंग का भी होता है। मूंगा एक जैविक रत्न होता है।

मूंगा समुद्र के गर्भ में लगभग छः-सात सौ फीट नीचे गहरी चट्टानों पर विशेष प्रकार के कीड़े, जिन्हें आईसिस नोबाइल्स कहा जाता है, इनके द्वारा स्वयं के लिए बनाया गया घर होता है। उनके इन्हीं घरों को मूंगे की बेल अथवा मूंगे का पौधा भी कहा जाता है। बिना पत्तों का केवल शाखाओं से युक्त यह पौधा लगभग एक या दो फुट ऊंचा और एक इंच मोटाई का होता है। कभी-कभी इसकी ऊंचाई इससे अधिक भी हो जाती है। परिपक्व हो जाने पर इसे समुद्र से निकालकर मशीनों से इसकी कटिंग आदि करके मनचाहे आकारों का बनाया जाता है।

मूंगे
के विषय में कुछ लोगों की धारणा कि मूंगे का पेड़ होता है किंतु वास्तविकता यह है कि मूंगे का पेड़ नहीं होता और न ही यह वनस्पति है। बल्कि इसकी आकृति पौधे जैसी होने के कारण ही इसे पौधा कहा जाता है। वास्तव में यह जैविक रत्न होता है। मूंगा समुद्र में जितनी गहराई पर प्राप्त होता है, इसका रंग उतना ही हल्का होता है। इसकी अपेक्षा कम गहराई पर प्राप्त मूंगे का रंग गहरा होता है। अपनी रासायनिक संरचना के रूप में मूंगा कैल्शियम कार्बोनेट का रूप होता है। मूंगा भूमध्य सागर के तटवर्ती देश अल्जीरिया, सिगली के कोरल सागर, ईरान की खाड़ी, हिंद महासागर, इटली तथा जापान में प्राप्त होता है।

विशेषता एवं धारण करने से लाभ--
मूंगे की प्रमुख विशेषता इसका चित्ताकर्षक सुंदर रंग व आकार ही होता है। यद्यपि मूंगा अधिक मूल्यवान रत्न नहीं होता किंतु इसके इसी सुंदर व आकर्षक रंग के कारण इसे नवरत्नों में शामिल किया गया है। मूंगा धारण करने से मंगल ग्रह जनित समस्त दोष शांत हो जाते हैं। मूंगा धारण करने से रक्त साफ होता है और रक्त की वृद्धि होती है। हृदय रोगों में भी मूंगा धारण करने से लाभ होता है।

असली मूंगे  को ऐसे पहचानें
यह अन्य रत्नों की अपेक्षा चिकना होता है तथा हाथ में लेने पर फिसलता है।
असली मूंगे को रक्त में रखने से उसके चारों ओर रक्त जम जाता है।
असली मूंगे पर किसी माचिस की तिल्ली से पानी की बूंद रखने से बूंद यथावत् बनी रहती है, फैलती नहीं है।
असली मूंगे पर हाडड्रोक्लोरिक एसिड डालने से उसकी सतह पर झाग उठने लगते हैं किंतु काले मूंगे पर इसका कोई प्रभाव नहीं होता।
असली मूंगा आग में डालने से जल जाता है। और उसमें से बाल जलने के समान गंध आती है।

मूंगा धारण करने की विधि--
मूंगा हो या अन्य कोई रत्न, इनके धारण करने का श्रेष्ठ ढंग तो यही है कि किसी योग्य पंडित से इनकी प्राण-प्रतिष्ठा कराकर ही धारण करना चाहिए किंतु जो व्यक्ति किसी कारण वश ऐसा नहीं कर सकते उन्हें निम्नलिखित विधि के अनुसार मूंगा धारण करना चाहिए- मूंगे की अंगूठी सोने, चांदी अथवा चांदी और तांबा दोनों धातुओं को मिलवाकर धारण की जाती है। अतः उपर्युक्त धातुओं में से किसी में मूंगे की अंगूठी अनामिका उंगली के नाम की बनवाकर कच्चे दूधू और गंगाजल से धोकर मंगलवार के दिन प्रातः सूर्योदय से ग्यारह बजे के मध्य दाएं हाथ की अनामिका उंगली में निम्न मंत्र के उच्चारण के साथ धारण करनी चाहिए। क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः स्त्रियों के लिए बाएं हाथ की अनामिका उंगली में धारण करने का विधान है।

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