आपकी कुंडली का पितृदोष बनते काम तो नहीं बिगाड रहा?

कई बार जीवन में ऐसा होता है जब जातक किसी भी काम में लंबे समय तक सफल नहीं हो पाता। कोई काम शुरू अच्छाा होता है लेकिन ऐन मौके पर बना बनाया काम बिगड जाता है। इसे ज्योीतिष की भाषा में पितृदोष भी कह सकते हैं। सूर्य को जगत की आत्मा एवं पिता का कारक ग्रह कहा गया है। जन्मकुंडली में पिता का विचार भी सूर्य से होता है। इसी प्रकार चन्द्रमा मन एवं माता का कारक ग्रह है। व्यक्ति की जन्मकुंडली में सूर्य जब राहु की युति में हो तो ग्रहण योग का निर्माण होता है। सूर्य का ग्रहण, अत: आत्मा, पिता का ग्रहण हुआ। इन दोनों की युति व्यक्ति पर पितृदोष की सूचक है। शनि जहाँ अन्धकार का सूचक ग्रह है, वहीं सूर्य ज्ञान एवं प्रकाश का। जन्मकुंडली में शनि ग्रह की सूर्य पर दृष्टि भी पितृदोष का निर्माण करती है।

तीन प्रकार की पीडा
पितृदोष से व्यक्ति आधि, व्याधि, उपाधि---इन तीनों प्रकार की पीडाओं से कष्ट उठाता है। उसके प्रत्येक कार्य में अडचनें, विघ्न-बाधा अवश्य आती है। जीवन का कोई भी कार्य सामान्य रूप से निर्विघ्न सम्पन्न नहीं होता। दूसरों की दृष्टि में व्यक्ति भले ही साधन-सम्पन्न एवं सुखी दिखाई दे, परन्तु आन्तरिक रूप से सदैव दु:खी रहता है। जीवन में पग-पग पर कष्टों का सामना करना पडता है।

यदि ये हैं लक्षण तो आप है पितृदोष से पीडित

यदि कुंडली में अष्टमेश राहु के नक्षत्र में तथा राहु अष्टमेश के नक्षत्र में हो तथा लग्नेश निर्बल एवं पीडित हो तो व्यक्ति जीवनपर्यन्त पितृदोष एवं प्रेतबाधा से कष्ट भोगता है।
व्यक्ति का जन्म सूर्य-चन्द्र ग्रहण में हो तथा घटित होने वाले ग्रहण का सम्बन्ध उसकी जन्मकुंडली के लग्न, षष्ठ अथवा अष्टम भाव में बन रहा हो तो व्यक्ति पितृदोष एवं अन्य अतृप्त आत्माओं के प्रभाव से पीडित रहता है। इन्हें सिर में भारी दर्द, मिर्गी, हिस्टीरिया इत्यादि भीषण रोग का सामना भी करना पडता है।
यदि जन्मकुंडली में अष्टमेश पंचम भाव में तथा पंचमेश अष्टम भाव में स्थित हो तथा चतुर्थेश षष्ठ भाव में स्थित हो तो व्यक्ति मातृश्राप से पीडित रहता है।
यदि जन्मकुंडली में चन्द्रमा-राहु का नक्षत्रीय परिवर्तन योग बन रहा हो तथा चन्द्रमा अन्य क्रूर ग्रहों के प्रभाव में हो तो व्यक्ति कुल की अतृप्त आत्माओं का शिकार होता है।
कोई व्यक्ति पितृदोष से ग्रसित है या नहीं, इसका पता कैसे लगाया जा सकता है? आपकी जन्मकुंडली देखकर ये स्पष्ट रूप से बताया जा सकता है कि आप पितृदोष के दुष्प्रभाव में है अथवा नहीं।

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